पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास द्वारा 90 बटुकों का यज्ञोपवीत बसंत पंचमी को संपन्न
पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास द्वारा 90 बटुकों का यज्ञोपवीत बसंत पंचमी को संपन्न *
यज्ञोपवीत संस्कार से जीवन में स्थायित्व आता है : स्वामी संकर्षणाचार्य जी महाराज
जनेऊ धारण करने का आध्यात्मिक महत्व : नारायण शास्त्री जी
प्रयागराज/सतना/छतरपुर 27 जनवरी! प्रयागराज माघ मेला :2023 में बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर गुरुवार को श्री श्री 1008 स्वामी संकर्षणाचार्य जी महाराज के आशीर्वाद से 90 बटुकों का यज्ञोपवीत संस्कार विधि विधान पूर्वक संपन्न हुआ।
पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास धर्म व संस्कृतिक जागरण के लिए कार्य करता है सेवा न्यास का उद्देश्य भूले हुए संस्कारों को पुनः स्थापित करने के लिए कार्य चल रहा है।
पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास के अध्यक्ष डॉ राकेश मिश्र ने बताया है कि यह बटुक बुंदेलखंड के विभिन्न विद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थी हैं।उनका उपनयन संस्कार किया गया। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी गुरूवार को उन्हें ज्ञान चक्षु से दीक्षित किया गया।
बसंत पंचमी के शुभ मुहूर्त में 26 जनवरी गुरूवार को हुआ संस्कार कार्यक्रम :
डॉ राकेश मिश्र ने आगे बताया कि सनातन परंपरा में उपनयन संस्कार विविध विद्वानों ने गायंत्री मंत्रोच्चार के बीच किया । बालकों का मुंडन व संगम स्नान करवाया गया।श्री दिलीप चौरसिया व उनकी पत्नी श्रीमती रीता चौरसिया जी ने सबको संस्कार पूर्ण में सहयोग किया।
पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास धार्मिक संस्कारों को बढ़ावा देने हेतु यह कार्यक्रम हर वर्ष करता है।
सेवा न्यास द्वारा यज्ञोपवीत संस्कार प्रारम्भ करने के पूर्व प्रयागराज में यज्ञोपवीत होने वाले का मुंडन करवाया जाता है। संस्कार के मुहूर्त के दिन स्नान करवाकर उसके सिर और शरीर पर चंदन केसर का लेप करते हैं और जनेऊ पहनाकर ब्रह्मचारी बनाते हैं। फिर हवन करते हैं। विधिपूर्वक गणेशादि देवताओं का पूजन, यज्ञवेदी एवं बालक को अधोवस्त्र के साथ माला पहनाकर बैठाया जाता है। इसके बाद दस बार गायत्री मंत्र से अभिमंत्रित करके देवताओं के आह्वान के साथ उससे शास्त्र शिक्षा और व्रतों के पालन का वचन लिया गया। तत्पश्चात् सभी बालकों ने उपस्थित लोगों से भिक्षा मांगी । यह कार्यक्रम माघ मेला परिसर में संत महंतों की उपस्थिति में विधिवत संपन्न हुआ।
जनेऊ धारण करने का आध्यात्मिक महत्व समझाया : नारायण शास्त्री जी
तीन धागे वाले जनेऊ धारण करने वाले व्यक्ति को आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है। जनेऊ के तीन धागे को देवऋण, पितृऋण और ऋषिऋण का प्रतीक माना जाता है। इसे सत्व, रज और तम और तीन आश्रमों का भी प्रतीक माना जाता है। विवाहित व्यक्ति या फिर कहें गृहस्थ व्यक्ति के लिए छह धागों वाला जनेऊ होता है। इन छह धागों में से तीन धागे स्वयं के और तीन धागे पत्नी के लिए माने जाते हैं। हिंदू धर्म में किसी भी धार्मिक या मांगलिक कार्य आदि करने के पूर्व जनेऊ धारण करना जरूरी है। बगैर जनेऊ के किसी भी हिंदू व्यक्ति का विवाह संस्कार नहीं होता है।
माघ मेला प्रयागराज में सेवा न्यास शिविर में पं. राहुल शास्त्री जी ने कहा कि पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास सांस्कृतिक उत्थान में अग्रणी भूमिका का निर्वहन कर रहा है। बटुक यज्ञोपवीत संस्कार में कौशांबी, प्रयागराज, फतेहपुर, प्रतापगढ़, भदोही, सागर, पन्ना, छतरपुर, सतना, रीवा, सीधी व दमोह जिले के बच्चों का यज्ञोपवीत संस्कार पंडाल में हुआ है। इस अवसर पर बटुकों के परिवार अपने बच्चों का यज्ञोपवीत संस्कार हेतु पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास पंडाल में पंहुचकर हिस्सा लिये