‘कोविड-19 महामारी : फेफड़ों से सम्बंधित तकलीफें, ब्लैक व व्हाइट फंगस की समस्या, भय और बचाव के उपाय

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पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास द्वारा 17 वीं स्वास्थ्य परिचर्चा संपन्न

डॉ सौरभ मंदलिवार ने बताई फेंफडों से संबंधित तकलीफ़ें, ब्लैक व व्हाइट फ़ंगस से बचने का चिकित्सकीय उपाय

हेल्थ वेबिनार में कोविड महामारी काल में फेंफडों से जुड़ी तकलीफ़ें, ब्लैक व व्हाइट फ़ंगस की समस्या, और बचाव पर चर्चा

सतना/छतरपुर । देश में व्यापक रूप से जारी टीकाकरण अभियान एवं कोरोना वॉरियर्स की प्रतिबद्धता से कोरोना की दूसरी लहर समाप्त होती नज़र आ रही है। लेकिन यह समय बेफिक्र होने का नहीं बल्कि और अधिक सावधानी बरतने का है। आज-कल ब्लैक फंगस की चुनौती और कोरोना की तीसरी लहर को लेकर तरह-तरह की आशंकाएं जाहिर की जा रही हैं। ख़ास बात यह है कि कोरोना नामक चीनी वायरस का सबसे अधिक असर लोगों के फेफड़ों पर ही होता है। यही वजह है कि पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास ने 17वीं स्वास्थ्य परिचर्चा का आयोजन कोविड काल में फेंफडों से संबंधित तकलीफ़ें, ब्लैक व व्हाइट फ़ंगस की समस्या, भय और बचाव के उपाय विषय पर किया। इस परिचर्चा में देश के सुप्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. सौरभ मंदिलवार ने लोगों को संबोधित करते हुए उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया। डॉ. मंदिलवार ने विगत 12 वर्षों का क्लिनिकल अनुभव अर्जित किया है। लीलावती हॉस्पिटल मुंबई से छाती रोग और साँस से सम्बंधित बीमारियों विषय में चिकित्सा कर रहे हैं। शनिवार सायंकाल आयोजित सत्रहवीं स्वास्थ्य परिचर्चा में डॉ. सौरभ मंदिलवार जी ने माइक्रोसॉफ्ट टीम सॉफ़्टवेयर के माध्यम से बड़ी बेबाक़ी से सरल सहज भावों से उत्तर दिये। डेढ घंटे तक चली परिचर्चा में कोरोना काल में फेंफडों की बीमारी, ब्लैक व व्हाइट फ़ंगस, श्वांस रोग, अस्थमा, वैक्सीन व इसके प्रभाव जैसे सभी प्रश्नों के उत्तर दिये गये। इस परिचर्चा में 389 प्रश्न प्राप्त हुये थे, जिनके उत्तर डॉ. सौरभ जी ने सरलता के साथ दिये। कुल 3456 मोबाइल फ़ोन/ लैपटॉप/ आईपैड/ टीवी स्क्रीन पर 7438 लोगों ने सपरिवार इसका लाभ उठाया । देश विदेश की अनेक बड़ी हस्तियों ने व छोटे गॉंव तक रहने वालों ने सहभागिता करके लाभ उठाया।
स्वास्थ्य परिचर्चा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अगर हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो तभी कोविड 19 वायरस हमें प्रभावित करता है। जिसको किडनी, कैंसर, मधुमेह या कोई अन्य गंभीर बीमारी होती है, उन्हें अधिक प्रभावित करती है। ब्लैक फंगस को लेकर उन्होंने कहा कि
चूंकि इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन को मेडिकल ऑक्सीजन में तब्दील करने की प्रक्रिया में कुछ अशुद्धता की आशंका रहती है। ऐसे में मरीजों को दी जाने वाली मेडिकल ऑक्सीजन की अशुद्धता भी कई बार ब्लैक फंगस को जन्म देती है। भारत में यह संख्या अधिक इसलिए देखने को मिल रही है क्योंकि कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमितों की संख्या हमारे यहां अधिक रही है। हमारे यहां स्टीरॉयड का लोग बेतहाशा उपयोग करते हैं। एक अन्य वजह यह भी है कि हमारे यहां एक तिहाई आबादी मधुमेह का शिकार है। कोविड ठीक होने के एक माह तक आपको इस बीमारी का रिस्क ज्यादा होता है। सुगर लेवल 180 या 160 से कम है तो आपको ब्लैक फंगस का खतरा कम रहता है। हाईडोज स्टीरॉयड तो बहुत ही अधिक नुकसानदेह साबित हुआ है। दुर्भाग्य से कोरोना संक्रमितों के इलाज में जरुरत से ज्यादा स्टीरॉयड दिया गया है। इम्यूनो सप्रेशन और इम्यूनो मॉड्यूलेशन दोनों में संतुलन बनाना होगा।
ब्लैक फंगस शरीर के जिस हिस्से में भी पहुंचता है, वहां के ऊतकों को नष्ट कर देता है। नाक से काले रंग का पानी आना, आंख से पानी आना, आंख के चारों ओर सूजन, आधे चेहरे का दर्द करना, आधे सिर में दर्द होना इसके प्रमुख लक्षण हैं। इस बीमारी के दिमाग में पहुंचते ही सबसे अधिक खतरा होता है। तत्काल संदेह होने पर ईएनटी डॉक्टर को दिखाना चाहिए। ब्लैक फंगस का इलाज ग्रामीण इलाकों या कस्बाई क्षेत्र में फिलहाल नहीं हो रहा है। सीबीसी में ल्यूकोसाइट कम होने पर भी यह फंगस आपके शरीर में आता है। श्वेत रक्त कणिकाएं यदि कम हैं, और सात दिन में भी यह नहीं बढ़ रही हैं तो सावधान रहना चाहिए। ब्लैक फंगस के टेस्ट कम हैं, एंन्डोस्कोपी प्रक्रिया से आधे घंटे में ही पता चल जाता है। एंटी फंगल दवाएं अपने मन से न लें।
न्यास के अध्यक्ष डॉ. राकेश मिश्र ने कुशल संचालन करते हुए सभी प्रश्नों को श्रेणीबद्ध करते हुये अस्थमा, बच्चों में फ़ंगस का प्रभाव, सर्दी जुकाम व खांसी, फ़ंगस का इलाज जैसी गंभीर बातों को समाहित करते हुये कहा कि यह परिचर्चा पुन: सुनने के लिये हमारे यूट्यूब चैनल पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास की स्वास्थ्य परिचर्चायें **https://www.gpmsevanyas.org * सब्सक्राइब करके देख सकते हैं। पुरानी सभी स्वास्थ्यवर्धक परिचर्चाओं को संशोधित कर लगाया गया है ।
अगली परिचर्चा शीघ्र ही नये विषय पर देश के ख्यातिलब्ध चिकित्सा विशेषज्ञ के साथ होगी। न्यास की सचिव श्रीमती आशा रावत ने अंत में सभी का आभार व्यक्त करते हुये कहा कि न्यास द्वारा आयोजित परिचर्चा में सभी अधिकारियों, नागरिकों, पत्रकारों, छात्रों, शिक्षकों, महिलाओं, बच्चों व सहयोगियों का ह्रदय से आभारी हैं। न्यास सदैव सेवा कार्यों के प्रति समर्पित रहा है उसी श्रृंखला में यह आयोजन हो रहे हैं।

स्वास्थ्य परिचर्चा में पूछे गए प्रश्न एवं उत्तर
सचिन त्रिपाठी – भारत में टीकाकरण को लेकर उत्साह क्यों नहीं है, क्या भ्रम फैलाया जा रहा है?
डॉ. सौरभ मंदिलवार- यह बात पूरी तरह तो सच नहीं है लेकिन बड़ी संख्या में लोग अफवाहों के कारण वैक्सीन नहीं लगवा रहे हैं। विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में यह समस्या देखने को मिल रही है। हम सभी की जिम्मेदारी है कि लोगों को जागरूक करें।
विवेक श्रीवास्तव – कोविड-19 जिन्हें नहीं हुआ है क्या उन्हें ब्लैक फंगस नहीं होगा?
डॉ. सौरभ मंदिलवार – जी ऐसे लोगों को नहीं होगा। ब्लैक फंगस संक्रामक बीमारी नहीं है। यह सामान्य व्यक्ति को नहीं होती है। कोविड-19 संक्रमितों में भी जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी है, उन्हें भी ब्लैक फंगस नहीं होगा। ऐसे कोरोना संक्रमितों को जो किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त होते हैं, उन्हें इसकी आशंका अधिक रहती है।

अरुण सक्सेना -क्या ब्लैक फंगस बच्चों में भी होता है , कैसे पहचानें ,और बचें?
डॉ. सौरभ मंदिलवार – यह बीमारी 40 से अधिक की उम्र वाले लोगों को अधिक हो रही है। मुझे नहीं लगता है कि बच्चे इससे प्रभावित होंगे। अपवाद अलग बात है। हां, जैसा कि मैंने पहले कहा कोविड-19 संक्रमित बच्चे यदि किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं, उन्हें आशंका हो सकती है।

रंजीत पांडे – नवजात बच्चों के लिए क्या सावधानियां रखनी चाहिए?
डॉ. सौरभ मंदिलवार- बच्चों को समय-समय पर निमोनिया या फ्लू का टीका लगवाएं। बच्चों के संक्रमण की आशंका कम है, लेकिन फिर भी हम सामान्य सावधानियां अवश्य रखें। मैं यह जरुर कहूंगा कि ब्लैक फंगस को लेकर भय का वातावरण न बनाएं। दिल्ली में अब्डॉमन फंगस का सिर्फ एक केस मिला है। हां, घर में शौचालय, किचन या ऐसे हर स्थान को स्वच्छ रखें जहां चिकनाई या फंगस की आशंका अधिक होती है।

आशीष गंगेले- कोविड-19 से जो ठीक हो चुके हैं, उनकी चेस्ट एक्सरे अभी भी साफ नहीं आ रहा है, ऐसा क्यों?
डॉ. सौरभ मंदिलवार – आज-कल बहुत से लोग यह प्रश्न उठा रहे हैं। क्लीनिकल इप्रूवमेंट में समय लगता है। यह माइल्ड या मॉडरेट संक्रमण था, उस पर भी निर्भर करता है। जब तक डॉक्टर आपको कोई विशेष परामर्श नहीं दें , तब तक आप चिंता न करें। चेस्ट में जो दाग दिख रहे हैं वह धीरे-धीरे समाप्त हो जाएंगे।

रमानी गौतम- शरीर अक्सर हल्का गरम बना रहता है, बुखार कम नहीं होता है, कोविड-19 समेत सभी जांच करा ली रिपोर्ट निगेटिव है?
डॉ. सौरभ मंदिलवार- कोविड-19 में बुखार बहुत तेज होता है। बुखार 101 से अधिक है तब थोड़ा चिंता की बात होती है। यह इनफ्लिमेंट्री फीवर होती है। धीरे-धीरे चली जाएगी।

राकेश वर्मा – माताजी जिनकी उम्र 77 साल है, उन्हें अस्थमा है, उन्हें क्या बचाव करें?
डॉ. सौरभ मंदिलवार – कुछ लोगों को पहले से अस्थमा था, कुछ लोगों को कोविड-19 के बाद अस्थमा की शिकायत सामने आई है। नेबुलाइजर बहुत अधिक न दें। नेबुलाइजर के मास्क भी बीच-बीच में साफ करते रहें। सांस की तकलीफ के लिए अलग से स्टीरॉयड न लें सामान्य इनहेलर, योग व प्रणायाम तथा चेस्ट फिजियोथैरपी भी काफी लाभदायक होता है। पेट के बल सोना भी लाभदायक रहता है।

स्वाती वर्मा- मौसम में बदलाव के साथ छींक अधिक आने लगती हैं, इसे दबाने के लिए क्या करे?
डॉ. सौरभ मंदिलवार- मौसम के साथ यदि छींक ज्यादा आ रही हैं, तो एलर्जी से जुड़ी चिकित्सकीय जांच होनी चाहिए। भाप ले सकते हैं। विटामिन डी कम होने से भी कई बार छींक अधिक आती हैं। एलर्जिक समस्या को दबाने के लिए कोई भी दवा अपने से न लें।

ह्देश खरे- बच्चे अधिक समय तक घर में रहेंगे तो क्या व्यावहारगत बदलाव आ सकते हैं?
डॉ. सौरभ मंदिलवार- यह बात सही है कि कोविड-19 के कारण बच्चों में व्यवहारगत बदलाव आ सकते हैं। इसके लिए दवाएं लेने का सुझाव मैं नहीं दूंगा। घर पर शारीरिक अभ्यास अधिक करें। पढ़ाई के दौरान ब्रेक दें। आंखों को आराम दें।
जी. पी. रिछारिया – नाक में तेल डालना हानिकारक तो नहीं है
डॉ. सौरभ मंदिलवार- नाक में तेल डालना ब्लैक फंगस से बचने का भी एक अहम उपाय है। लेकिन ज्यादा न डालें। एलर्जिक अस्थमा के मामलों में ऑक्सीजन लेवल 90 के ऊपर है तो कोई दिक्कत नहीं है। कई बार लंग्स का पूरा हिस्सा नहीं खुलता है। इसके लिए थोड़ा शारीरिक व्यायाम करना चाहिए।

नीरज भार्गव – पूरे परिवार में सभी को अस्थमा है। क्या यह आनुवांशिक बीमारी है।क्या इलाज करायें।
डॉ. सौरभ मंदिलवार- अस्थमा कुछ लोगों में आनुवांशिक होता है। अस्थमा के 80 प्रतिशत मामलों में आनुवांशिक नहीं है। घर में सभी में यदि अस्थमा की शिकायत है तो देखना चाहिए कि घर में सीलन तो नहीं है। घर के बाहर कबूतर बहुत अधिक संख्या में तो नहीं हैं। अच्छी दवाओं से आप इसका उपचार कर सकते हैं।
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